Thursday, October 8, 2009

प्लैटिनम की खोज - एपिसोड : 38

शमशेर सिंह ने आदमखोरों के बारे में काफी सुन रखा था किन्तु उसे इसकी आशा नहीं थी कि वे इस प्रकार साक्षात रूप में दर्शन देंगे। अत: उसकी घिग्घी बन गयी। वह हाथ जोड़कर लड़खड़ाती ज़बान से बड़ी मुकिल से बोला,
‘‘जंगली भाई, मुझे छोड़ दो। अभी तो इस जंगल में बहुत से जानवर होंगे। फिर मुझे ही क्यों पकड़ा है।’’

जंगलियों ने शमशेर सिंह की विनती पर कोई ध्यान नहीं दिया। दरअसल उन्हें शमशेर सिंह की भाषा समझ में नहीं आयी थी। वे उसी प्रकार कूद फादकर अपना हर्ष प्रर्दशित करते रहे। और शमशेर सिंह के दिल से खेलते रहे। ये जंगली उसी प्रकार की वेशभूषा में थे जो प्रोफेसर इत्यादि से मुलाकात करने वाले जंगलियों ने धारण कर रखी थी। अन्तर केवल इतना था कि इन जंगलियों ने अपने सर पर लाल रंग के पंखों की टोपी लगाई हुई थी जबकि उधर के जंगलियों ने सफेद रंग के पंख अपने सर पर सजाये हुए थे। इसके अलावा इन जंगलियों के गाल सफेद रंग की धारियों से सजे हुए थे जो शायद चूने से बनाई गयी थीं। नंगे पेट आगे की ओर निकले हुए थे और जंगलियों की कूद फांद के समय एक ओर से दूसरी ओर गति कर रहे थे।

कुछ देर उछलने के बाद एक जंगली ने हाथ उठाया और सारे जंगली स्थिर हो गये। हाथ उठाने वाले जंगली ने अपनी भाषा में बाकियों को संबोधित किया, ‘‘ले चलो इसे बस्ती। सरदार इसे देखकर जरूर खुश होगा।’’
वह एक ओर को बढ़ा। उसके पीछे पीछे बाकी जंगली भी बढ़े। जिस जंगली के हाथ में जाल की डोर थी उसने शमशेर सिंह को आगे बढ़ाने के लिए अपनी ओर खींचा। किन्तु शमशेर सिंह को टस से मस करना उसके बस की बात नहीं थी।

‘‘मुझे आप लोग यहीं रहने दीजिए। मैं आप लोगों के साथ जाकर क्या करूंगा।’’ शमशेर सिंह हाथ जोड़कर बोला किन्तु जंगलियों को यह बात पसंद नहीं आयी। अत: एक जंगली शमशेर सिंह के पीछे पहुंचकर अपने हाथ में पकड़ी लकड़ी से उसे ठहोका देने लगा।

लाचार होकर शमशेर सिंह को आगे बढ़ना पड़ा। आगे बढ़ने से पहले उसने पास में पड़ा सूटकेस उठाकर अपने हाथों में ले लिया और साथ ही उस कंपनी को सैंकड़ों गालियां दे डालीं जिसने उसे यहां भेजकर इस मुसीबत में फंसाया था।

जंगली अब तेजी से एक ओर को बढ़ने लगे थे और साथ में शमशेर सिंह घिसट रहा था। बीच बीच में उसे दहलाने के लिए जंगली एकाध नारा भी लगा देते थे जिसकी भाषा समझ पाना उसके बस से बाहर था।
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1 comment:

seema gupta said...

रोचकता बढ़ती जा रही है आगे............

regards