Saturday, November 28, 2009

प्लैटिनम की खोज - एपिसोड : 65


इस प्रकार दो तीन सप्ताह और बीत गये। शमशेर सिंह इस डर से बस्ती के बाहर नहीं निकलता था कि कहीं मोगीचना फिर न उसके सर पर सवार हो जाये।
प्रोफेसर की रिसर्च जोरों से चल रही थी। अब तक वह बीस पच्चीस औषधियां बनाने का प्रयन्त्र कर चुका था।

रामसिंह ने अण्डे देने के साथ साथ मोली से बाकायदा इश्क भी आरम्भ कर दिया था और यह इश्क दोनों ओर से जारी था। मोली रोजाना अण्डे लेने आती थी और रामसिंह उसे रोज दो अण्डे देता था। यह नहीं कहा जा सकता था कि मोली उससे अण्डे लेने के लिए इश्क कर रही है या इश्क  के कारण अण्डे लेने आती है।

प्रोफेसर अभी भी उधेड़बुन में था कि किस प्रकार रोज दो अण्डे गायब हो जाते हैं।
इस समय भी वह इसी चिन्ता में डूबा हुआ था और शमशेर सिंह के कई बार आवाज देने पर भी उसकी तन्द्रा नहीं भंग हुई।

‘‘प्रोफेसर, तुम कहां गायब हो गये?’’ शमशेर सिंह ने प्रोफेसर का कन्धा पकड़कर जोरों से हिलाया। इस बार प्रोफेसर विचारों की दुनिया से वापस आ गया। वह अब शमशेर सिंह को गौर से देख रहा था।
‘‘ऐसे क्या देख रहे हो प्रोफेसर?’’
‘‘मैं यह सोच रहा हूं कि रोज दो अण्डे कहां गायब हो जाते हैं?’’

‘‘तो क्या पता चला तुम्हारे इस प्रकार सोचने के बाद?’’
‘‘मैंने चोर का पता लगा लिया है।’’ प्रोफेसर बोला।

‘‘कौन है वह?’’
‘‘मैंनें सारी कड़ियां आपस में मिला ली हैं। उसके बाद मैं इस परिणाम पर पहुंचा हूं कि कोई जंगली चोर नहीं हो सकता। क्योंकि उन्हें रोज दो दो अण्डे बाँटे जाते हैं।’’
‘‘फिर?’’

‘‘बाकी बचे हम तीनों। मुझे तो अपनी रिसर्च से फुर्सत नहीं मिलती। और रामसिंह का दो अण्डे खाकर पेट खराब हो जायेगा। इस प्रकार अण्डों के चोर तुम ही हो सकते हो।’’ प्रोफेसर ने रहस्योद्घाटन किया।

‘‘क्या मैं अण्डों का चोर हूं! मैं तुम्हारी सारी रिसर्च को चूल्हे में डाल दूंगा।’’ शमशेर सिंह ने गुस्से में प्रोफेसर का गरेबान पकड़ लिया।
‘‘अभी मैं पूरी तरह कन्फर्म नहीं हूं। हो सकता है चोर कोई और हो। मुझे केवल शक था।’’ प्रोफेसर ने रामसिंह का क्रोध शांत  करते हुए कहा।
‘‘ठीक है। किन्तु यदि आइंदा मुझे चोर कहा तो मैं तुम्हारे घर से जितने बर्तन उठा कर लाया हूं सब वापस कर दूंगा। मैं भी शरीफ बाप का बेटा हूं।’’ शमशेर सिंह ने गरेबान छोड़ते हुए कहा।

‘‘यह प्रश्न फिर अपनी जगह पर रह गया कि अण्डों की चोरी कौन करता है।’’ प्रोफेसर अपना पैर फैलाते हुए बोला।
‘‘रामसिंह आजकल बहुत मोटा हो रहा है और गायब भी बहुत रहने लगा है मुझे पूरा यकीन है कि वही अण्डों का चोर है।’’
‘‘तुम सही कहते हो। हमें उसपर नजर रखनी होगी। किन्तु वह कहाँ गया?’’

‘‘आजकल वह कुछ ज्यादा ही गायब रहने लगा है। मेरा विचार है कि वह जंगलियों से मिलकर हमारे खिलाफ कोई साज़िश कर रहा है।’’
‘‘किस प्रकार की साज़िश?’’

‘‘वह जंगलियो को भड़का रहा होगा कि असली देवता केवल वह है और हम दोनों उसके असिस्टेंट हैं।’’
‘‘यह तो वाकई गंभीर बात है। इस प्रकार तो हमारी वैल्यू जंगलियों की दृष्टि में गिर जायेगी।’’ प्रोफेसर ने चिन्ता जताई।

‘‘मेरा तो विचार है कि यहाँ से जल्द से जल्द निकलने की सोचो। वरना एक दिन ऐसा भी आयेगा जब जंगली हमसे अपने खेत जुतवाने लगेंगे।’’
‘‘अब मुझे यहां से बाहर निकलने की तरकीब सोचनी पड़ेगी। मैं आज ही से इसपर रिसर्च आरम्भ कर देता हूं।’’ प्रोफेसर ने अपनी ठोड़ी पर हाथ रखकर कहा।
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1 comment:

Arvind Mishra said...

अण्डों की चोरी और असली देवता -कैसे कैसे सवाल !