Wednesday, October 28, 2009

प्लैटिनम की खोज - एपिसोड : 48

शमशेर सिंह के बहुत प्रयत्न करने के बाद भी जब उसे हनुमान चालीसा याद नहीं आयी तो उसने अपना सर धुनने की कोशिश की। लेकिन यह संभव नहीं हो पाया क्योंकि उसके हाथ पेड़ से बंधे थे। न केवल हाथ बल्कि पैर भी स्वतन्त्र नहीं थे।
सामने पांच छह जंगली अपने हाथ में पकड़ी डंडियों की सहायता से नगाड़े बजा रहे थे। और उस ताल पर स्त्रियों और पुरुषों का एक पूरा जत्था नृत्य कर रहा था। सामने सिंहासन पर सरदार अपनी तोंद सहित विरजमान था। उसके हाथ में मिट्‌टी का एक प्याला था जिसमें लाल रंग का कोई द्रव भरा था। जिसे वह घूंट घूंट करके पी रहा था।

कुछ देर तक वहां भांगड़ा होता रहा फिर सरदार ने अपना हाथ उठाया। इसके साथ ही सारे नगाड़े बजना बन्द हो गये। साथ ही जंगलियों का नृत्य भी रुक गया। फिर सरदार की आवाज़ गूंजी।
‘‘अब हमारे उत्सव का अगला चरण आरम्भ होता है। आज प्रेम दिवस है। आज हमारे कबीले की कुंवारी स्त्रियां अपने वरों का चुनाव करती हैं। अब मैं कबीले के समस्त कुंवारे पुरुषों को आदेश देता हूं कि वे एक ओर एकत्र हो जायें ताकि वर चुनने में आसानी रहे।’’

एक ओर अविवाहित पुरुषों का जत्था एकत्र होने लगा।

थोड़ी देर बाद जब सारे अविवाहित पुरुष एकत्र हो गये तो सरदार ने अगला आदेश दिया, ‘‘अब परंपरा के अनुसार कबीले की सबसे मोटी और तगड़ी औरत सबसे पहले अपना वर चुनेगी।’’
‘‘अर्थात मैं।’’ सरदार के पीछे बैठी एक औरत बोल उठी जो वास्तव में डील डौल में हाथी को मात दे रही थी।

‘‘तुम कहां। तुम तो पहले ही मेरे गले में रस्सी डाल चुकी हो।’’ सरदार ने उसे घूरा।
‘‘किन्तु विवाह के बाद तो एक बार भी------।’’ उसकी बात अधूरी रह गयी क्यांकि सरदार ने उसे डाट दिया।

एक और मोटी तगड़ी औरत भीड़ से निकलकर आगे आयी और सरदार ने उसे वर चुनने की आज्ञा दे दी। वह कुंवारों के जत्थे के पास पहुंची और एक एक पुरुष को इस प्रकार टटोल टटोल कर देखने लगी मानो कोई कसाई बकरे को खरीदने से पहले देख रहा हो।

फिर एक युवक का हाथ पकड़कर उसने उसे सरदार के सामने कर दिया, ‘‘यही मेरा वर बनने के लायक है सरदार।’’ वह बोली। जबकि युवक के चेहरे पर हवाईयां उड़ने लगी थीं। क्योंकि डील डौल में वह किसी भी प्रकार कन्या के एक तिहाई से अधिक नहीं था।

सरदार को जोड़ी जमने की भला क्या परवाह होती। उसने तुरन्त विवाह की आज्ञा दे दी और साथ ही दूसरी कन्या को काल कर लिया।

1 comment:

Murari Pareek said...

ha.ha..isliye kabhi pahle kunwaaron ki line me nahi khadaa honaa chahiye!!